NEELAM GUPTA

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मेरी मां वैष्णो के दर्शन

निक्की के पेपर कब तक हैं मुझे बताओ मुझे टिकट बुक करनी है  ट्रेन की। 12 साल के निक्की के पापा ने निक्की की मम्मी से कहा।


पापा कहां जा रहे हैं । निक्की ने बहुत उत्साह से पूछा।


बताओ बच्चे कहां जाना है। मैंने तो वैष्णो देवी मां का सोचा है। तुम्हारी दादी की बहुत इच्छा थी कि हम सब मिलकर वैष्णो देवी दर्शन को जाए।


हां हां पापा हम सब भी चलेंगे दादी के साथ बहुत मजा आएगा ।


ठीक है।


वंदे भारत एक्सप्रेस की बुकिंग कर देता हूं वह दिल्ली से  सीधा कटरा उतारेगी। 3 महीने पहले कम से कम बुकिंग करते हो तो टिकट के उपलब्धि हो जाती है नहीं तो बाद में बहुत परेशानी होती है। 


एग्जाम का  तो ठीक से मालूम नहीं लेकिन अक्टूबर में बच्चों की 5 ,6 दिन की छुट्टी है  तभी की करा लीजिए । मौसम भी बहुत अच्छा रहेगा ने गर्मी ना सर्दी।  निक्की की मम्मी ने कहा।


देखते-देखते निक्की के एग्जाम भी हो गए। वह जाने का समय आ गया सब बहुत उत्साहित हो रहे थे अगले दिन ही उनकी ट्रेन थी। कभी गर्म कपड़े रखते हैं ।कभी सोचते वहां गर्मी ना हो लेकिन मम्मी ने कहा एक ना एक  तो रख लो। कम से कम कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। वहां के मौसम का कुछ पता नहीं होता एक मिनट में बारिश आ जाती है और कुछ ही पलों में धूप खिल जाती है। बाहर जाकर तो वैसे भी मौसम के उतार-चढ़ाव का पता नहीं चलता।


निक्की की मम्मी तो सुबह से ही तैयारी में लगी हुई थी सफर के लिए खाना बनाया। और सभी स्टेशन पर बैठ वैष्णो देवी यात्रा के लिए निकल गए ।जयकारा शेरावाली का कहते हुए अपनी यात्रा सभी ने शुरू की। सभी की आंखों में मां के दर्शन के लिए इंतजार था।


सुबह ट्रेन सीधे कटरा रुकी। वहां से सभी ने एक होटल बुक किया। और सब नहा धोकर यात्रा के लिए निकल गए ऊपर दर्शन के लिए कटरा से ही बुकिंग कर ली थी नहीं तो ऊपर जाकर दर्शन के लिए बहुत समय लगता है ।13 किलोमीटर की यात्रा पैदल चलने का निर्णय  लिया निक्की की दादी ने कहा मैं भी पैदल चलूंगी लेकिन निक्की के पापा नहीं मानी उन्होंने कहा आपको घुटनों की प्रॉब्लम है तो आपके लिए मैं बग्गी कर देता हूं ।


बहुत कहने के बाद निक्की की दादी मान गई। और बग्गी में बैठने को तैयार हो गई। पहले तो है वह हिचक रही थी ।कि चार चार लोग मुझे मेरा बोझा उठाकर ले चलेंगे ,मुझे अच्छा नहीं लगेगा। लेकिन शरीर पर किस का बस नहीं है इसलिए वह आखिर में मान गई फिर उन्होंने कहा यह तो मांजी ये हमारा काम है आप इसमें संकोच मत कीजिए यही हमारा कमाई का साधन है हमें आपको अच्छा लगेगा यदि हम इस में बैठाकर आपको माता के दर्शन कराएंगे।


निकी के पापा मम्मी को निक्की ने पैदल चलने का फैसला किया । सम्मान के लिए उन्होंने एक पिट्ठू कर लिया जिसको उन्हें माता के मंदिर से पहले मिलना था उन्होंने जगह तय कर उसे अपना सारा सामान दे दिया ।जैसे-जैसे पहाड़िया ऊंचाई की ओर बढ़ती जा रही थी सभी का उत्साह बढ़ता जा रहा था इतनी ऊंची ऊंची पहाड़ियां घुमावदार रास्ते और वहां का कुतूहल दृश्य देखकर मन रोमांचित हो रहा था ।माता के जयकारे लगाते हुए सभी लोग एक-एक कदम साथ मिलकर आगे बढ़ रहे थे। 


बाणगंगा पर पहुंच कर निक्की थक गया । चंद्रघंटा माता के दर्शन करते हुए वे लोग आगे चले  अब निक्की के पापा ने कहा तुम्हें खच्चर पर बैठा देते हैं पहले तो वह बहुत डर गया नहीं पापा मैं आपके साथ जाऊंगा लेकिन बाद में मान गया ।खच्चर गाना बहुत अच्छा इंसान था उसने धीरे से निक्की को बैठाया और संभाल संभाल कर उसे ले जाने लगा और उसके मम्मी पापा के साथ चलता रहा। और जल्दी आगे निकल जाए तो उनकी राह देखता बग्गी भी साथ साथ चल रही थी मां जी भी अंदर से बहुत परेशान थी कि आखिर में माता के दर्शन करुंगी।

माता दरबार में पहुंचने से पहले ही रास्ते में से ही सभी का मन लालायित हो रहा था कि किस प्रकार हम जल्दी से पहुंचकर माता के दर्शन करें वह जोश से भरपूर सभी कदम बढ़ाते हुए आगे बढ़ रहे थे बीच में थके भी लेकिन उन्होंने अपना उत्साह कम नहीं किया और कुछ खा पी कर आगे बढ़ने का निर्णय लिया इस प्रकार अर्धकुमारी  माता तक पहुंच गए। महा माता की बहुत मान्यता है वाह छोटी सी गुफा है झांसी प्रत्येक व्यक्ति उस पत्थर के नीचे से निकल कर अपने मामा के दर्शन करता है वहां पर इतनी कम जगह है लेकिन मोटे से मोटे व्यक्ति भी वहां निकल जाता है मां को मन में बसा हर कठिनाई को पार करने वाले व्यक्ति उस छोटे से सकरी रास्ते से निकलकर माता का जयकारा करते हुए उत्साह से भर जाता है। अब है सभी सांझीछत  पर पहुंच गए। वहां से सारा रास्ता वैष्णो मां के मंदिर तक प्लेन है। जय माता दी, जय माता दी कहते हुए सभी वह रास्ता बड़ी आसानी से पार कर लिया वहां पहुंचकर सभी ने नाहाए  और माता के दर्शन के लिए लाइन में लग गए। सारी थकावट उनकी दूर हो गई।  मां के दर्शन में के लिए उनके शरीर में एक नई शक्ति जाग गई मां वैष्णो का नाम ही ऐसा है उनके नाम से ही शरीर इतना भी बीमार हो उठ कर खड़ा हो जाता है।


 यह मां की शक्ति ही तो है जो इतना कठिनाई भरा रास्ता सुगम लगता है माता से प्यार करने वाले उस रास्ते की कठिनाइयां नहीं देखते और माता के प्यार में आगे बढ़ते चले जाते हैं ।


पंक्ति में लाकर सभी ने माता के दर्शन किए और उनके रूप को निहारते हुए अपने आप को भाग्यशाली समझा कि हम इतने भाग्यशाली हैं कि माता ने हमें अपने दिव्य दर्शन कराएं। काली माता लक्ष्मी माता और दुर्गा माता के स्वरूप उस गुफा में स्थापित है । मां 24 घंटे माता के नाम की ज्योत जलती रहती है दिन-रात श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए आते हैं श्रद्धालुओं का जोश और भक्ति में माहौल बहुत प्रभावित करता है मन करता है माता के दर्शन के लिए बार-बार आए ।


माता जिस को बुलाती है वह अपने आप माता के पास आ जाता है जब तक माने बुलाती है कोई ना कोई परेशानी आती रहती है इसलिए मां का ध्यान कर मां को मन में बसा कर माता वैष्णो माता की यात्रा की तैयारी करनी चाहिए ।

इस प्रकार पूरे परिवार की यात्रा सफल हुई मां के दर्शन से उनका मन और ह्रदय आनंदित हो उठे। उनका रोम-रोम माता के दर्शन से धन्य हो गया। परम सुख की प्राप्ति उन सभी को प्राप्त हुई।


इस समय तो वहां हेलीकॉप्टर और मिनी गाड़ी से जाने का भी बंदोबस्त है आप साल में किसी भी वक्त में वैष्णो माता के दर्शन कर सकते हैं बोलो जयकारा शेरावाली दा सांचे दरबार की जय।



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9 Comments

Milind salve

09-Dec-2021 11:29 AM

Good

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fiza Tanvi

07-Dec-2021 09:50 AM

Good

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Niraj Pandey

06-Dec-2021 11:46 PM

जय माता दी🙏

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